Monday, 23 April 2012

अक्षय तृतीया की अक्षय शुभकामनाये....!!





आप सभी स्वर्णकार भाइयो और परिवार को अक्षय तृतीया की पुन्य वेला पर अक्षय शुभकामनाये.
अक्षय तृतीया का दिन एक पवित्र दिन है और इस पुरे के पुरे दिन को ही शुभ दिन माना जाता है . 
अक्षय का अर्थ है जो कभी नष्ट नहीं होता है .इसलिए आज के दिन किये गए दान पुण्य का अवश्य फल प्राप्त होता है एवं कोई भी नया कार्य जो आज प्रारंभ किया गया हो उसमे सफलता और उन्नति का होना अनिवार्य है .
आज के दिन प्रारंभ किये गए कार्य सौभाग्यशाली और सफल होते है .इसलिए आज बहुत से लोग सोने के गहने-जवाहरात भी खरीदते है.
मिल जाता है अतुल्य वैभव निश्चय ही निश्छल भाव ही होता है अक्षय और स्वीकृत उन चरणों को जिन्हें मां लक्ष्मी सराहती है.


| ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नम: |


जय अजमीढ़ महाराज |

Sunday, 19 February 2012

Happy Maha Shivratri......!!





महा शिवरात्रि पर के सभी दोस्तों तथा परिवार को हार्दिक शुभकामनायें और बधाई 

देवाधिदेव महादेव की कृपा और आशीर्वाद हम सभी पर सदा बनी रहे 

Let us learn to be fearless for good deeds, let us be willing to drink the pain for others. 

हर हर महादेव....बम बम भोले....ॐ  नमः  शिवाय 

Monday, 13 February 2012

SHREE GAJANAN MAHARAJ PRAKAT DIN......!!

:~: SHREE GAJANAN MAHARAJ PRAKAT DIN :~:

|| SHREE GAJANAN | JAY GAJANAN ||




Shree Gajanan Maharaj Prakat-Din ki Aap Sabhi ko Shubh-Kamanayein.

May Shree Gajanan Maharaj Bless all of You and Your Families Also.

May All Your wishes comes TRUE by the Grace of Our Beloved Shree GAJANAN

|| SHREE GAJANAN | JAY GAJANAN ||

|| GAN GAN GANAT BOTE ||

Wednesday, 8 February 2012

परिवार की खुशी और तरक्की चाहते हैं तो यह जरूर पढ़ें...



परिवार होता क्या है? ऐसे लोगों का समूह जो भौतिक और मानसिक स्तर पर एक-दूसरे से प्रगाढ़ता से जुड़ा हो। जिसके सभी सदस्य अपना फर्ज पूरी ईमानदारी से करते हुए उदारता पूर्वक एक-दूसरे के लिये त्याग और सहयोग करते हैं। कोई भी परिवार संगठित, विकसित और उन्नतिशील तभी हो सकता है जबकि उसका प्रत्येक सदस्य अपने कर्तव्य को अपना धर्म मानकर पूरी निष्ठा और गहराई से पालन करे। 

परिवार की खुशहाली और समृद्धि तभी संभव है जबकि परिवार का कोई भी सदस्य स्वार्थी, विलासी और दुर्गुणी न हो। यदि परिवार में धर्म-कर्तव्यों के प्रति पूरी आस्था और समर्पण होगा तो वे अच्छी तरह से समझ पाएंगे कि स्वार्थ की बजाय स्नेह-सहयोग का माहौल ही फायदेमंद है। किसी भी परिवार में अलगाव, बिखराव या मन-मुटाव तभी पैदा होता है जबकि सदस्यों में अपने कर्तव्य की बजाय अधिकार को पाने की अधिक जल्दी होती है।

यदि कर्तव्य और फर्ज को गहराई से समझकर इनके बीच संतुलन साध लिया जाए तो कोई भी परिवार टूटने और बिखरने से बच सकता है। यानि जिस परिवार में अधिकारों से पहले कर्तव्यों की फिक्र की जाती है, वहीं पर स्नेह, सहयोग और सद्भावना कायम रह पाती है। जहां पर इस तरह की सुलझी हुई सद्बुद्धि का माहौल होगा वहीं पर शुख-संपत्ति से भरा-पूरा राम परिवार जैसा वातावरण होगा।

महाभारत में पांडवों का परिवार देखिए। मां कुंती और पांचों भाई। मां ने पहले अपने कर्तव्य निभाए। अपनी सौतन माद्री की दोनों संतानों नकुल और सहदेव को भी अपने बच्चों जैसा ही प्रेम और परवरिश दी। संस्कार दिए। सभी बेटे भी ऐसे ही हैं। मां के मुंह से निकली हर बात को पूरा करना, बड़े भाई के प्रति आदर, हर भाई को अपने कर्तव्य का भलीभांति ज्ञान था। किसे क्या करना है जिम्मेदारी तय थी। तभी पांडव जहां भी रहे, सुखी रहे। जिन परिवारों में ऐसा समर्पण नहीं होता, वहां अक्सर वैमनस्यता, अलगाव और बिखराव की स्थिति पैदा हो जाती है।





Source: Blog

Friday, 27 January 2012

HAPPY BASANT PANCHMI.....!!

Basant Panchami 28/01/ 2012 – Saraswati Jayanti





माघ शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु की शुरूआत होती है जो फाल्गुन कृष्ण पंचमी को पूर्ण होती है। बसंत पंचमी का दिन सभी प्रकार के कार्यों के लिए शुभ माना गया है। मलमास समाप्ति के बाद यह सबसे अधिक शुभ दिन होता है। किंवदंती है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। 

लेखन, साहित्य, कला और विशेषकर विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का दिन विशेष महत्व वाला होता है क्योंकि आज ही के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी कृपा से ही कवि कालिदास ने यश और ख्याति अर्जित की थी। वाल्मीकि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी-साधना से ही कृतार्थ हुए थे। चूंकि मां सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से मानी जाती है, इसलिए इन्हें श्वेत वर्ण की सामग्रियां विशेष प्रिय हैं। जैसे- श्वेत पुष्प, श्वेत चंदन, दूध, दही, मक्खन, श्वेत वस्त्र और श्वेत तिल के लड्डू।



जिनकी कांति हिम, मुक्ताहार, कपूर तथा चंद्रमा की आभा के समान धवल है, जो परम सुंदरी हैं और चिन्मय शुभ-वस्त्र धारण किए हुए हैं, जिनके एक हाथ में वीणा है और दूसरे में पुस्तक। जो सर्वोत्तम रत्नों से जड़ित दिव्य आभूषण पहने श्वेत पद्मासन पर अवस्थित हैं। जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव प्रभृति प्रधान देवताओं और सुरगणों से सुपूजित हैं, सब श्रेष्ठ मुनि जिनके चरणों में मस्तक झुकाते हैं। ऐसी भगवती सरस्वती का मैं भक्तिपूर्वक चिंतन एवं ध्यान करता हूँ। उन्हें प्रणाम करता हूँ। वे सर्वदा मेरी रक्षा करें और मेरी बुद्धि की जड़ता इत्यादि दोषों को सर्वथा दूर करें।

मार्कण्डेय पुराण में वर्णित सरस्वती के “घंटा शूलहलानि…” श्लोकों के जाप व हवन करने से बुद्धि कुशाग्र होती है। कलियुग में दान का महत्व बसंतोत्सव में प्रमुख है। इस दिन पीत वस्त्र एवं आभूषणादि का दान सरस्वती पूजा कर कुमारियों, विप्रों व निर्धनों को देने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। इस ऋतु में पीले पुष्पों से शिवलिंग की पूजा करने से भक्तजन तेजस्वी दीर्घायु होते हैं। बसंत पंचमी के दिन शुभ कार्य (विवाह, भवन निर्माण, कूप निर्माण, फैक्ट्री आदि का शुभारंभ, कॉलेज आदि की स्थापना) किया जाता है

Thursday, 26 January 2012

Padma Shri for HVPM Chief Shri Prabhakar Vaidya.....!!


Padma Shri for HVPM Chief Shri Prabhakar Vaidya (My Native Place Resident)......!!





This Republic Day would be doubly special for Amravati residents. The president of Hanuman Vyayam Prasarak Mandal (HVPM), Prabhakar Vaidya, has been bestowed with the prestigious Padma Shri award. 
It is after 53 years that an Amravati resident has been selected for one of country's highest civilian awards. The previous recipient from Amravati, Dr Shivaji Patwardhan, too served as HVPM president.


Shri. P.A. Vaidya (Hon. General Secretary)




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This is age-old institution of sports and physical education in the country. Established in the year 1914 and celebrating its centenary in the year 2014.This holy place is blessed with foot prints of freedom fighters, social workers, social reformers of all the time. It has a very rich heritage promoting Indian traditional sport and physical culture. The activities of the institution blended patriotism and quality education in blood of its students. It is a mini India wherein you can see students right from Jammu & Kashmir up to Kanyakumari every year seek admission and shape their future in the field of sports and physical education. This is the first of its kind a fully developed sports complex established and managed by private management. The sports facilities for many competitive sports are indigenously developed by the Institution with coaching facility. We believe in the fact that "A sound mind lives in a sound body" therefore physical fitness training and education should cater together. Social responsiveness is also very essential and should impart in the training programme. This Institution is active in many social activities: The 'Help Line' is established to help any person especially Girls/Women who are in trouble. 
The 'Child Line' is established to help children in need. We started 'Shetkari Jagruti Abhiyan' to help the family of farmers who committed suicide and to boost up moral of their family members. Hon. Prime-Minister of India has taken note of this and appreciated this activity. The institution is marching ahead with its policies and principles. Our slogan is "Age Badho Sabse Age Badho".

@ HVPM (Hanuman Vyayam Prasarak Mandal)






Shree H. V. P. Mandal, Amravati, established in 1914 and is registered under Bombay Public Trust Act 1950 and Societies Registration Act 1860. It is a Voluntary, Social, Non-Political & Secular Institute, managed with democratic principles & practices. It is founded by Vaidya Brother's namely Shri. Ambadaspant & Shri. Anant Krishna Vaidya with their colleagues, freedom fighters on the broader principles of equality, fraternity & social justice. 
Honorable National leaders like Mahatma Gandhi, Subhash Chandra Bose, Dr. Rajendra Prasad visited & blessed this organization. Martyrs Rajguru & D.S. Deshpande were the two illustrious students of this institution. To standardize and popularized India's traditional system of physical culture and develop 
sport and allied science and employ them strategically towards welfare of the masses, Institute has timely organized various tours in India (J&K, Delhi, Calcutta, Ahmadabad, Lucknow, Amritsar, Panji, etc.) as well as abroad (U.S.A., Berlin, U.S.S.R., Finland, France, Japan, England, Germany, Argentina, 
Brazil, etc) for Propagation of Indian Traditional sport since year 1928. After Independence, to propagate traditional Indian Sports and Yoga, the Mandal concentrated its efforts on the training of teachers in Physical Education and Yoga, and gradually diversified its activities to the field of Ayurvedic medicine, tribal and school education and Engineering and Technology. The Mandal is the recipient of prestigious "Aadivasi Seva Sanstha Puraskar - 1997 of Maharashtra Government" for its work in tribal regions and the "State Government Award -2002" for Educational institutions. The work of the Mandal has been 
appreciated by many organizations and received honours in the form of awards and certificates from time to time.German Dictator Adolph Hitler has also honored this Institute with a medal for its breath taking demonstrations in Berlin Olympics Games in the year 1936.


Wednesday, 25 January 2012

जन-गण-मन अधिनायक जय हे.......!!

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता ।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा,
द्रावि़ड़ उत्कल बंग ।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग । तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे ! जय हे !! जय हे !!! जय ! जय ! जय ! जय हे !!